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Thursday, April 7, 2011

आपसे रुसवा न हमको कीजिये

जिंदगीभर दिल दुखाया है तुम्हारा
एक बस मौका हमें अब दीजिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

रूठकर यूं छोड़के जाओ न हमको
जिंदगी से तोड़के जाओ न हमको
क्या करेंगे हम तेरे बिन, सोचिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

क्या कहूं मजबूर था मैं इस कदर के
कह न पाया राज-ए दिल का चाहकरके
दर्द ए दिल कि ये जुबाँ सुन लीजिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

आँख यादोंसे मेरी ऐसे भरी है
रात आंखोसे उतर ऐसी जली है
आगोश में अपने हमें बस लीजिए
आपसे रुसवा न हमको कीजिये 

-----आदित्य देवधर

Wednesday, April 6, 2011

आज मी झालो जुना

केवढी वर्षे उडाली 
आज ते कळते पुन्हा  
मी कधी चैतन्य होतो 
आज मी झालो जुना

आठवोनी सांग मजला 
मी नवा होतो कधी 
की नवा नव्हतो कधी 
अन जन्मलो ऐसा जुना 

देवही मजला म्हणाला 
'रे भल्या झिजला कसा तू 
शेकडो शतके उलटली 
मी कधी झालो जुना ?'

लावुनी देतील मजला
कोण पाटी अनुभवाची
कोण येऊन घालतील मज
हार मळका अन जुना

हे जुने सोने म्हणोनी 
मी आता हसतो स्वत:शी 
मिरवतो मोठे नव्याने
मी जरी झालो जुना 

------ आदित्य देवधर

मेरा मन

क्यूं नहीं लागे मेरा मन
क्यूं कहीं भागे मेरा मन
देखलो शायद वहीं पे
आह भरता हो मेरा मन

उड़ चले वो चाँद छूने
चांदनी की सेज बुनने
सो वहीं जाए अकेले
देखके सपने मेरा मन

एक बर्फीले जहां में
धुंद गीले आसमाँ में
बादलों में घर बनाके
बूंद बन जाये मेरा मन

एक तितली बनके आये
आप, और बस चल दिए
दो घड़ी रुकते ज़रा और
ले चले जाते  मेरा मन 


---------आदित्य देवधर