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Wednesday, April 6, 2011

मेरा मन

क्यूं नहीं लागे मेरा मन
क्यूं कहीं भागे मेरा मन
देखलो शायद वहीं पे
आह भरता हो मेरा मन

उड़ चले वो चाँद छूने
चांदनी की सेज बुनने
सो वहीं जाए अकेले
देखके सपने मेरा मन

एक बर्फीले जहां में
धुंद गीले आसमाँ में
बादलों में घर बनाके
बूंद बन जाये मेरा मन

एक तितली बनके आये
आप, और बस चल दिए
दो घड़ी रुकते ज़रा और
ले चले जाते  मेरा मन 


---------आदित्य देवधर 

2 comments:

Anonymous said...

Cool poem - Mera Man title pan chhan.. aata tyala Tune de ... Hindi Movie madhla Song watel tey.. Chhan lihitos.

Aditya said...

Dhanyawaad!!!!

chal vagaire lavayala nahi jamat. kasabasa lihito tech khupe....

tula kahi suchali tar sang
:P