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Thursday, April 7, 2011

आपसे रुसवा न हमको कीजिये

जिंदगीभर दिल दुखाया है तुम्हारा
एक बस मौका हमें अब दीजिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

रूठकर यूं छोड़के जाओ न हमको
जिंदगी से तोड़के जाओ न हमको
क्या करेंगे हम तेरे बिन, सोचिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

क्या कहूं मजबूर था मैं इस कदर के
कह न पाया राज-ए दिल का चाहकरके
दर्द ए दिल कि ये जुबाँ सुन लीजिये
आपसे रुसवा न हमको कीजिये

आँख यादोंसे मेरी ऐसे भरी है
रात आंखोसे उतर ऐसी जली है
आगोश में अपने हमें बस लीजिए
आपसे रुसवा न हमको कीजिये 

-----आदित्य देवधर

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