धूप में जलती जलाती और रुलाती जिंदगी
शाम को पलकोंके नीचे मुस्कुराती जिंदगी
दर्द में भीगी हुई बाती चिरागों में जले
इस बुझीसी जिंदगी को ही बुझाती जिंदगी
रो रहा हो आसमाँ तब, जी उठे सारा जहां
बारिशों की धार में रोती भिगोती जिंदगी
एक ऐसा दिन भी आए जो जिए सालों कईं
एक ऐसी जिंदगी से दिल लगाती जिंदगी
रोशनी की ले सवारी, चल पडी जाने कहाँ
बंद मुठ्ठी से निकलके सांस लेती जिंदगी
---आदित्य
शाम को पलकोंके नीचे मुस्कुराती जिंदगी
दर्द में भीगी हुई बाती चिरागों में जले
इस बुझीसी जिंदगी को ही बुझाती जिंदगी
रो रहा हो आसमाँ तब, जी उठे सारा जहां
बारिशों की धार में रोती भिगोती जिंदगी
एक ऐसा दिन भी आए जो जिए सालों कईं
एक ऐसी जिंदगी से दिल लगाती जिंदगी
रोशनी की ले सवारी, चल पडी जाने कहाँ
बंद मुठ्ठी से निकलके सांस लेती जिंदगी
---आदित्य
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