परछाईयों से डरता हूँ
पर उनकेही संग रहता हूँ
कभी दूरसे कभी पासमे
उनकेही संग चलता हूँ
डर जाती है अंधेरेमे
परछाई, और छुप जाती है
दिया जलाके रिश्ता अपना
और उजागर करता हूँ
शाम डूबती परछाईको
ले जाएगी दूर जहां में
वही कही वो बस जाती है
मैं एक तनहा सो जाता हूँ
सूरज की परछाई भी
खो जाती है किसी शहर में
सूरज बन के उस सूरज को
कुछ परछाई दे देता हूँ
-- आदित्य
पर उनकेही संग रहता हूँ
कभी दूरसे कभी पासमे
उनकेही संग चलता हूँ
डर जाती है अंधेरेमे
परछाई, और छुप जाती है
दिया जलाके रिश्ता अपना
और उजागर करता हूँ
शाम डूबती परछाईको
ले जाएगी दूर जहां में
वही कही वो बस जाती है
मैं एक तनहा सो जाता हूँ
सूरज की परछाई भी
खो जाती है किसी शहर में
सूरज बन के उस सूरज को
कुछ परछाई दे देता हूँ
-- आदित्य