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Monday, June 25, 2012

फूल खिला है आंगन में

कोयल कूक लगायेगी और
तितली भी मंडरायेगी
फूल खिला है आंगन में
हर सांस महकसी जायेगी

हर सावन पिछला रुखा था
कुछ गीला था कुछ सूखा था
अब बारिश ऐसे आयेगी
बस खुशियाँही बरसायेगी

बूंद बूंदसे गीत गिरेगा
गीत गीत से मन झूमेगा
प्यारी बतिया लोरी बनके
किन सपनोंमें खो जायेंगी

चांद सितारे रातोंको
एक नयी कहानी लायेंगे
नन्ही कोमल एक परी
मीठीसी गुनगुन गायेगी

प्यार भरी बूंदोंकी झालर
गालोंपरसे आ फिसलेगी
नन्ही नाजुक एक कली जब
पंखुडीयोंको फैलायेगी

आदित्य

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